द्रौपदी को ‘कृष्णा’ क्यों कहा जाता है? जानें पौराणिक कारण!

द्रौपदी को ‘कृष्णा’ क्यों कहा जाता है?

महाभारत के महाकाव्य में द्रौपदी एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जिन्हें ‘कृष्णा’ नाम से भी पुकारा जाता है। यह नाम केवल एक संबोधन मात्र नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व, गुण और भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके विशेष संबंधों को दर्शाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि द्रौपदी को ‘कृष्णा’ क्यों कहा जाता है और इसके पीछे के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझेंगे।

द्रौपदी का परिचय:

द्रौपदी का जन्म राजा द्रुपद के यज्ञकुंड से हुआ था, इसलिए उन्हें ‘यज्ञसेनी’ भी कहा जाता है। उनका मूल नाम द्रौपदी था, लेकिन ‘कृष्णा’ नाम उनके लिए विशेष रूप से प्रयोग होता था।

‘कृष्णा’ नाम का अर्थ:

‘कृष्णा’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘काला’ या ‘श्यामवर्णी’। द्रौपदी का रंग श्यामल (गहरा) था, इसलिए उन्हें ‘कृष्णा’ कहा जाता था। लेकिन इसका अर्थ केवल उनके रंग-रूप तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके जीवन और व्यक्तित्व के कई पहलुओं को भी दर्शाता है।

1. भगवान कृष्ण के साथ विशेष संबंध:

द्रौपदी और भगवान श्रीकृष्ण का रिश्ता बहन और भाई जैसा था। जब भी द्रौपदी संकट में होती थीं, श्रीकृष्ण उनकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। चीरहरण के समय भगवान कृष्ण ही थे जिन्होंने उन्हें अपमान से बचाया। उनके बीच की आत्मीयता और समर्पण का प्रतीक ही ‘कृष्णा’ नाम है।

2. ‘कृष्णा’ नाम का आध्यात्मिक अर्थ:

द्रौपदी का जीवन संघर्ष और धर्म की स्थापना के लिए समर्पित था। जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण धर्म की स्थापना के लिए अवतरित हुए थे, उसी प्रकार द्रौपदी का जीवन भी धर्म के मार्ग पर चला। उनका नाम ‘कृष्णा’ इस बात का प्रतीक है कि वे भी श्रीकृष्ण के समान धर्म और सत्य की प्रतिनिधि थीं।

3. श्यामल रंग और सुंदरता का प्रतीक:

द्रौपदी का सांवला रंग केवल बाहरी रूप तक सीमित नहीं था, बल्कि उनकी आंतरिक सुंदरता, ज्ञान, साहस और न्यायप्रियता का प्रतीक भी था। भारतीय संस्कृति में श्याम रंग को गहराई, रहस्य और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है, जो द्रौपदी के व्यक्तित्व में भी झलकता था।

4. शक्ति और नारीत्व का प्रतीक:

द्रौपदी ने महाभारत के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया। उनका साहस, धैर्य और न्याय की लड़ाई उन्हें एक शक्तिशाली नारी बनाता है। ‘कृष्णा’ नाम इस शक्ति और दृढ़ निश्चय का भी प्रतीक है।

धर्म और करुणा का प्रतीक:

द्रौपदी ने अपने जीवन में कभी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा, चाहे उनके साथ कितना भी अन्याय क्यों न हुआ हो। भगवान श्रीकृष्ण के समान ही, उन्होंने अपने शत्रुओं के प्रति भी करुणा दिखाई। ‘कृष्णा’ नाम उनके धर्म, करुणा और सहनशीलता का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

द्रौपदी को ‘कृष्णा’ कहे जाने का कारण केवल उनका रंग नहीं, बल्कि उनका गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक अर्थ भी है। यह नाम उनके और भगवान कृष्ण के बीच के गहरे संबंध, उनके साहस, सत्य के प्रति निष्ठा और नारी शक्ति का सम्मान दर्शाता है। द्रौपदी का जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो हमें बताता है कि कठिनाइयों में भी धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

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